पाठ - 10 गुरुत्वाकर्षण (GRAVITY 9TH CLASS )

 

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SESSION – 2020 – 2021
CLASS – 9th

SUBJECT – PHYSICS 
SUBJECT  TEACHER - RAJ KUMAR SIR

पाठ - 10          गुरुत्वाकर्षण 


गुरुत्वाकर्षण :- ब्रह्माण्ड में उपस्थित प्रत्येक पिंड एक दूसरे को अपनी ओर आकर्षित करते है | पिंडो के बिच लगने वाले इस बल को गुरुत्वाकर्षण बल कहते है | इस घटना को गुरुत्वाकर्षण कहते है | 

गुरुत्वाकर्षण की कारण ही पृथ्वी किसी भी वस्तु को अपनी ओर आकर्षित करती है , इस आकर्षण बल को गुरत्व बल कहते है | 



न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम :- ब्रह्माण्ड में उपस्थित सभी पिण्ड एक दूसरे को अपनी ओर आकर्षित करते है , इस बल को गुरुत्वाकर्षण बल के नाम से जाना जाता है गुरुत्वाकर्षण बल सदैव आकर्षण बल ही होता है | 

इस नियम के अनुसार 

किन्ही दो पिंडो के बीच कार्य करने वाला आकर्षण बल उन दोनों पिण्डो के द्रव्यमानो के गुणनफल के समानुपाती व उनकी बीच की दुरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है | 





जहाँ G एक नियतांक है , जिसे गुरुत्वाकर्षण नियतांक कहते है | 

G का मान पिण्डो की प्रकृति , उनके द्रव्यमान , उनके बीच की दूरी ,माध्यम , समय , ताप इत्यादि पर निर्भर नहीं करता है तथा ब्रह्माण्ड के सभी कणो के लिए समान होता है | अत: इसे सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक भी कहते है | 

सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक G की परिभाषा :- सूत्र 



यदि   m1  =   1 kg    ,  m2   =   1 kg    ,   r  =   1 मी 
हो तो 
F    =     G 

अत: संख्यात्मक रूप से " गुरुत्वाकर्षण नियतांक G का मान एकांक दुरी पर रखे दो एकांक द्रव्यमान के पिण्डो के मध्य लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल के बराबर होता है | "


गुरुत्व बल के व्यवहारिक उपयोग :- 

(1) यदि किसी पिण्ड को पृथ्वी की सतह से ऊपर की ओर  फेका जाता है तो पिण्ड गुरुत्व बल के कारण वापस पृथ्वी पर लोट जाता है | 
(2) गुरुत्व बल के कारण ही पृथ्वी पर वायुमण्डल विद्यमान है | 
(3) गुरुत्व बल के कारण ही प्राणियों का पृथ्वी पर चलना संभव होता है | 
(4) कृत्रिम उपग्रहों को पृथ्वी के चारो ओर वृत्ताकार कक्षा मे परिभ्रमण के लिए आवश्यक अभिकेंद्रीय बल , गुरुत्वीय बल से प्राप्त होता है | 

गुरुत्वीय त्वरण :- किसी वस्तु पर गुरुत्व बल के कारण जो त्वरण उत्पन्न होता है , उसे गुरुत्व जनित त्वरण कहते है | इसे g से प्रदर्शित करते है | इसका मात्रक मी / sec होता है | 

गुरुत्वीय त्वरण परिमाण में उस बल के बराबर होता है , जिस बल से पृथ्वी एकांक द्रव्यमान वाली वस्तु को अपने केंद्र की ओर आकर्षित करती है | 

पृथ्वी की सतह पर विभिन्न स्थानों पर g का मान भिन्न - भिन्न पाया जाता है | 
g का औसत मान  =  9 . 8 मी / sec 2


गुरुत्वीय त्वरण के मान में परिवर्तन 

(1) पृथ्वी की सतह से ऊपर जाने पर g का मान घटता है | 
(2) पृथ्वी की सतह के अंदर जाने पर g का मान घटता है , तथा केंद्र पर शून्य हो जाता है | 
(3) गुरुत्वीय त्वरण का मान ध्रुवो पर अधिकतम तथा भूमध्य रेखा पर न्यूनतम होता है | 

G तथा g में संबन्ध :- 
यदि पृथ्वी का द्रव्यमान M और त्रिज्या R हो , तो पृथ्वी की सतह पर या उससे कुछ ऊंचाई पर m द्रव्यमान की वस्तु पर न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण नियम के अनुसार पृथ्वी द्वारा लगाया जाने वाला गुरुत्व बल 





F   =  G M m / R2  ------------(1)

  यदि गुरुत्वीय त्वरण g हो तो नूतन के गति के दूसरे नियम के अनुसार 

F  =   m g   --------(2)

समीकरण 1 व 2 से 


mg  =   GMm / R2

g  = GM / R2

अत: गुरुत्वीय त्वरण g का मान किसी वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है  | 

G व g में अंतर 

 गुरुत्वीय जनित त्वरण g 
 गुरुत्वाकर्षण नियतांक G 
 इसका मान विभिन्न स्थानों पर भिन्न - भिन्न होता है | 
यह एक नियतांक है | 

 इसका औसत मान पृथ्वी की सतह पर 9.8 मी / से
  है | 
G का मान 6.67*10-11 N-m2/kg2
 होता है |  
 g एक सदिश राशि है | 
G एक अदिश राशि है |  
 इसका मात्रक मी / से
 है 
 इसका मात्रक 6.67*10-11 N-m2/kg2
 है | 



द्रव्यमान :- किसी वस्तु में पदार्थ का परिमाण ही उसका द्रव्यमान कहलाता है | यह एक अदिश राशि है | इस्सके मान नियत रहता है | इसका SI मात्रक किलोग्राम है | 


भार :- पृथ्वी जिस बल से किसी वस्तु को अपनी और आकर्षित करती है वह उस वस्तु का भार कहलाता है | 


भार     =   द्रव्यमान  x गुरुत्वीय त्वरण 
W     =      m  g

1 kg  = 9.8 न्यूटन 



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पाठ - 9 बल तथा गति के नियम

 


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SESSION – 2020 – 2021
CLASS – 9th

SUBJECT – PHYSICS
SUBJECT  TEACHER - RAJ KUMAR SIR

पाठ - 9         बल तथा गति के नियम 

बल :- बल वह धक्का या खिचाव होता है , जो किसी वस्तु मे गति या विराम की अवस्था मे परिवर्तन करता है या परिवर्तन करने का प्रयास करता है | 

बल का मात्रक  किग्रा-मी / सेकेण्ड 2 या न्यूटन होता है | यह एक सदिश राशि है | 
बल   =   द्रव्यमान   x   त्वरण 
f     =   m.a    न्यूटन | 


बल के प्रभाव :-किसी वस्तु पर बल लगाने से उत्पन्न प्रभाव


(1) बल लगाने पर किसी वस्तु की स्थिति बदल देता है या बदलने का प्रयास करता है | 
(2) बल किसी वस्तु की दिशा बदल देता है | 
(3) बल किसी वस्तु की आकृति बदल सकता है | 

बल के प्रकार :- 


बल निम्नलिखित दो प्रकार के होते है - 

(1) संतुलित बल :- किसी वस्तु पर लगने वाले दो या दो से अधिक बल जिनका परिणामी बल शून्य हो तो वे सभी बल संतुलित बल कहलाते है | संतुलित बलों के प्रभाव मे वस्तु की स्थिति मे कोई परिवर्तन नहीं होता है | 


जैसे :- यदि किसी गुटके पर विपरीत दिशा मे दो बराबर परिमाण के बल लगे हो तो बल संतुलित होंगे | 




(2) असंतुलित बल :- यदि किसी वस्तु या निकाय पर लगे सभी बलो का परिणामी शून्य न हो तो इस प्रकार के बलो को असंतुलित बल कहलाते है | 

जैसे :- किसी लकड़ी के गुटके पर दो बल एक ही दिशा मे लगे हो | 




गैलीलियो का जड़त्व का नियम :- 

जड़त्व :- किसी वस्तु का वह गुण जो उसकी विराम या गति की अवस्था मे परिवर्तन का विरोध करता है , जड़त्व कहलाता है | अर्थात जो वस्तु विराम मे है विराम मे ही रहेगी और जो गति मे है वह गति की अवस्था मे ही रहेगी | 


किसी वस्तु का जड़त्व उसके द्रव्यमान के अनुक्रमानुपाती होता है | अत: जिस वस्तु का द्रव्यमान जितना अधिक होगा उसका जड़त्व उतना ही अधिक होगा | 





जड़त्व के प्रकार :- 
जड़त्व निम्नलिखित दो प्रकार का होता है - 

(1) विराम जड़त्व :- यदि कोई वस्तु स्थिर अवस्था मे है , तो वह सदैव स्थिर अवस्था मे ही रहेगी , जब तक कि उसकी अवस्था परिवर्तन के लिए बाह्य बल न लगाया जाए | यह विराम का जड़त्व कहलाता है अर्थात कोई भी वस्तु अपनी विराम अवस्था का विरोध करती है 



(2) गति का जड़त्व :- यदि कोई वस्तु एक नियत चाल से चल रही है तो इसकी अवस्था बदलने के लिए इस पर कोई बाह्य बल  लगाया जाए तो वह गति अवस्था का विरोध करती है | यह गति का जड़त्व कहलाता है | 




दैनिक जीवन मे जड़त्व के उदाहरण -
अपने शब्दों मे लिखो - 
(1) बस या गाड़ी मे एकदम से चल जाने से एक झटका लगता है क्यों ? 
(2) कम्बल को तेजी से झटक देने से धूल के कण अलग हो जाते है ?
(3) लम्बी दौड़ दौड़ने की लिए खिलाडी को पहले तेजी से भागना पड़ता है ? 
(4) पेड़ को तेजी से हिलने पर पत्तिया नीचे गिर जाती है ? 

न्यूटन के गति के नियम 

(1) न्यूटन का गति विषयक प्रथम नियम :- गति के प्रथम नियम के अनुसार , यदि कोई वस्तु अपनी स्थिर अवस्था या सरल रेखा मे एकसमान गति की अवस्था मे है , तो वह उसी अवस्था मे रहेगी जब तक उस पर कोई बाह्य बल कार्य न करे | यह नियम जड़त्व का नियम या गैलेलियो का नियम भी कहलाता है |   




(2) न्यूटन का गति विषयक द्वितीय नियम :- इस नियम के अनुसार, '' किसी वस्तु के संवेग - परिवर्तन की दर , उस पर लगने वाले असंतुलित बल के अनुक्रमानुपाती होती है | यह परिवर्तन बल की दिशा मे ही होता है | ''


F   ∝    Δ p  / Δt 

Δ p  =    संवेग परिवर्तन 

Δt  =   समय परिवर्तन 

या 
किसी वस्तु पर लगाया गया बल उसमे उत्पन्न त्वरण व वस्तु के द्रव्यमान के गुणनफल के समानुपाती होता है | 


F   =  m.a




दैनिक जीवन मे द्वितीय नियम के कुछ उदाहरण :-
अपने शब्दों मे लिखे |

(1) क्रिकेट की गेंद का कैच लेते समय खिलाडी अपने हाथ पीछे की ओर खींच लेता है | 
(2) बॉक्सर अपना सर पीछे की ओर कर देता है | 

न्यूटन का गति विषयक तृतीय नियम :- इस नियम के अनुसार , जब एक वस्तु किसी दूसरी वस्तु पर बल लगाती है तो वह पहली वस्तु भी दूसरी वस्तु पर उतना ही बल आरोपित करती है | 

इस नियम को क्रिया प्रतिक्रिया का नियम कहते है | 

माना की A व B दो पिंड एक - दूसरे पर बल आरोपित कर रहे है , तब इस नियम के अनुसार , 
A द्वारा B पिण्ड पर पर आरोपित बल  = B द्वारा A पिण्ड पर आरोपित विपरीत दिशा मे बल 

FAB = - FBA







न्यूटन के गति विषयक तीसरे नियम के कुछ व्यावहारिक उदाहरण :-
अपने शब्दों मे लिखो - 

(1) बन्दुक से गोली चलाने पर बन्दुक का पीछे हटना | 
(2) भूमि पर चलते समय पैरो से पीछे की ओर धकेलना | 
(3) तैरते समय पानी को पीछे की ओर धकेलना | 
(4) कुँए से जल खींचना | 


संवेग :- किसी गतिमान वस्तु (पिण्ड) के द्रव्यमान व वेग के गुणनफल को संवेग कहते है | इसे p से प्रदर्शित करते है , यह एक यह एक सदिश है | 


यदि m द्रव्यमान वस्तु v वेग से गतिमान है तब संवेग 

p  =  m.v
  
संवेग का मात्रक   -     किलोग्राम - मीटर / सेकण्ड 

संवेग संरक्षण का सिद्धांत :- इस सिद्धांत के अनुसार , यदि वस्तुओ के निकाय पर बाह्य बल आरोपित न हो , तो संयुक्त निकाय का कुल संवेग सदैव संरक्षित रहता है | 

△p  /  △ t   =  नियताँक 

बल का आवेग :- यदि अधिक मान का बल , अत्यंत कम समय के लिए किसी पिण्ड पर लगता है ,तो बल और समयान्तराल का गुणनफल बल का आवेग कहलाता है | इसे I से प्रदर्शित करते है , यह एक सदिश राशि है | 

यदि कोई बल F , अल्प समय (△t) मे किसी वस्तु पर कार्यरत है , तो आवेग 
I  =  F . △t

इसका मात्रक न्यूटन x सेकण्ड या किग्रा - मीटर / सेकण्ड | 


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पाठ - 8 गति (MOTION IN HINDI ) CLASS 9TH

 



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SUBJECT – PHYSICS
SUBJECT  TEACHER - RAJ KUMAR SIR


पाठ - 8                  गति




विराम अवस्था (STATE POS) :- जब किसी वस्तु की स्थिति किसी स्थिर बिंदु के सापेक्ष समय के साथ परिवर्तित नहीं होती है तो ऐसी वस्तु को विराम की अवस्था मे कहते है | 
जैसे :- रुका हुआ व्यक्ति , रुकी हुई बस , बैठा हुआ पक्षी आदि |  

गति की अवस्था :- जब किसी वस्तु की स्थिति किसी दूसरी वस्तु के सापेक्ष समय के साथ परिवर्तित होती है तो ऐसी वस्तु को गति की अवस्था मे कहते है |

जैसे - चलती हुई बस , चलती  गाड़ी , उड़ता पक्षी , चलता हुआ पंखा आदि |

गति निम्न प्रकार की हो सकती है - 

(1) रेखीय गति    -  रेखीय पथ पर की गई गति | (बस व गाड़ी द्वारा गति)
(2) वृत्ताकार गति - वृतीय पथ पर गति (जैसे एक पिंड को रस्सी में बांधकर घुमाया जाए)
(3) घूर्णन गति  - एक अक्ष के परित: गति (जैसे लट्टू की गति)

 एकसमान व असमान गति 

(1) एकसमान गति :- यदि कोई वस्तु (पिंड) एकसमान समयान्तरालो में समान दूरी तय करे तो यह गति उस वस्तु की एक समान गति कहलाती है |  

जैसे :- एक कार 30 मिनट मे 20 km दूरी तय करे और अगले 30 मिनट मे भी वह 20 km दूरी ही तय करे | 




(2) असमान गति : - यदि कोई वस्तु या पिंड एक समान समयान्तरालो मे असमान दुरी तय करे तो इस तरह की गति को असमान गति कहते है | 

जैसे :-  एक कार 2 मिनट मे 1 km दुरी तय करे और अगले 2 मिनट मे भी वह 3km दुरी ही तय करे | 



 सदिश व अदिश राशियाँ 

राशि दो प्रकार की होती है - 
(1) सदिश राशियाँ :-  वे राशिया जिनमे परिमाण के साथ -साथ दिशा भी दी गयी हो , उन भौतिक राशियों को सदिश राशि कहते है | 
जैसे - विस्थापन , वेग , त्वरण , संवेग , बल आदि |  

(2) अदिश राशियाँ :- वे भौतिक राशियाँ जिनमे केवल परिमाण होता दिशा नहीं होती है , अदिश राशिया कहलाती है | 
जैसे - दूरी , चाल , आयतन , कार्य , द्रव्यमान आदि | 


 दूरी :-
किसी गतिशील वस्तु (पिण्ड) द्वारा किसी समय मे तय किये गए पथ लम्बाई को उस वस्तु द्वारा चली गयी दूरी कहते है  | दूरी एक अदिश राशि है , इसका मात्रक मीटर है | 




विस्थापन : -
किसी गतिशील वस्तु की प्रारम्भिक व अंतिम स्थितियों के बीच की न्यूनतम दूरी को वस्तु का विस्थापन कहते है | विस्थापन एक सदिश राशि है | इसका मात्रक भी मीटर है | 


दूरी तथा विस्थापन मे अंतर 



 चाल :-
 किसी गतिमान वस्तु द्वारा एकांक समय में तय की गयी दूरी को उस वस्तु की चाल कहते है | यह एक अदिश राशि है | 
यदि एक वस्तु t समय मे s दूरी तय करे , तब 

चाल(v)  = दूरी(s) / समय(t)
चाल का मात्रक मीटर/सेकेण्ड होता है | 
चाल के प्रकार :- 

प्राय: चाल चार प्रकार की होती है - 

(1) एकसमान चाल :- यदि कोई वस्तु (पिंड) एकसमान समयान्तरालो में समान दुरी तय करे |  तो वस्तु की चाल एक समान चाल कहलाती है |  

जैसे :- एक कार 30 मिनट मे 20 km दूरी तय करे और अगले 30 मिनट मे भी वह 20 km दूरी ही तय करे | 




(2) असमान चाल : - यदि कोई वस्तु या पिंड एक समान समयान्तरालो मे असमान दूरी तय करे तो इस तरह की चाल को वस्तु की असमान चाल कहते है | 


जैसे :-  एक कार 2 मिनट मे 1 km दूरी तय करे और अगले 2 मिनट मे भी वह 3km दूरी ही तय करे | 


(3) औसत चाल :- किसी गतिशील वस्तु द्वारा तय की गयी कुल दूरी तथा दूरी तय करने मे लगे कुल समय के अनुपात को उस वस्तु की औसत चाल कहते है | 

औसत चाल = तय की गई कुल दूरी / लिया गया कुल समय 

(4) तात्क्षणिक चाल :- 
किसी क्षण पर (lim∆t 0) अतिसूक्ष्म समयांतराल मे वस्तु द्वारा तय की गई दूरी तथा सूक्ष्म समयांतराल के अनुपात को उस वस्तु की तात्क्षणिक चाल कहते है  |

तात्क्षणिक चाल = तय कुल दूरी / सूक्ष्म समयान्तराल 

u      =  lim∆t 0 (∆s / ∆ t )


 वेग 
किसी गतिशील वस्तु द्वारा एकांक समय हुए विस्थापन को उस वस्तु का वेग कहते है | यह एक सदिश राशि है , इसका मात्रक भी मीटर / सेकेण्ड  है | 

वेग  =  विस्थापन / समय 

यदि किसी वस्तु स्थिति मे विस्थापन (s) व विस्थापन मे लगा समय (t) हो तब , 
v    =   s  /  t
वेग के प्रकार :- 

वेग निम्नलिखित प्रकार के होते है - 

(1) एकसमान वेग :- यदि कोई वस्तु (पिंड) एकसमान समयान्तरालो निश्चित दिशा में समान विस्थापित हो तो वस्तु का वेग एक समान वेग कहलाता है |  

जैसे :- एक कार 2 मिनट मे 10 km विस्थापन निश्चित दिशा मे हो और अगले 2 मिनट मे भी 10 km विस्थापन उसी दिशा हो | 




(2) असमान वेग : - यदि कोई वस्तु या पिंड एक समान समयान्तरालो मे असमान विस्थापित हो तो इस तरह के वेग को असमान वेग कहते है |

जैसे :-  एक कार 2 मिनट मे 1 km विस्थापित हो और अगले 2 मिनट मे भी वह 3km विस्थापित हो  | 


(3) औसत वेग :- किसी गतिशील वस्तु मे हुए कुल विस्थापन तथा विस्थापन मे लगे कुल समय के अनुपात को उस वस्तु का औसत वेग कहते है | 
औसत वेग = वस्तु की स्थिति मे विस्थापन / लिया गया कुल समय 

(4) तात्क्षणिक वेग :- किसी क्षण पर (lim∆t 0) अतिसूक्ष्म समयांतराल मे वस्तु की स्थिति मे विस्थापन तथा सूक्ष्म समयांतराल के अनुपात को उस वस्तु का तात्क्षणिक वेग कहते है  |
तात्क्षणिक वेग  = वस्तु की स्थिति मे विस्थापन  / सूक्ष्म समयान्तराल 

u      =   lim∆t 0 ∆s / ∆ t

चाल व वेग मे अंतर - 

 चाल 
 वेग 
  • गतिशील वस्तु द्वारा एकांक समय मे तय की गयी दूरी को चाल कहते है |  
  • एकांक समय मे तय किये गए विस्थापन को वस्तु का वेग कहते है | 
  • चाल एक अदिश राशि है, जिसे केवल परिमाण द्वारा व्यक्त करते है |  
  • वेग एक सदिश राशि है , इसमें दिशा व परिमाण दोनों होते है | 
  • किसी वस्तु की चाल उसके वेग के परिमाण के बराबर या अधिक हो सकती है |  
  • वेग का परिमाण चाल से अधिक  नहीं हो सकता | 
  • औसत चाल शून्य नहीं  हो सकती है | 
  •  औसत वेग शून्य हो सकता है | 

त्वरण :-
गतिमान पिंड के वेग परिवर्तन की दर को त्वरण कहते है | इसे  a से प्रदर्शित करते है | 

त्वरण      =     वेग परिवर्तन  /  समय 

वेग प्रकार:- 

(1) एकसमान त्वरण :- यदि किसी गतिशील पिंड वेग मे समान समयान्तरालो मे , समान परिवर्तन होता है , तो पिंड की गति मे उत्पन्न त्वरण एकसमान त्वरण कहलाता है | 


जैसे :-  ऊंचाई से पृथ्वी की ओर छोड़ी गयी किसी वस्तु मे उत्पन्न त्वरण | 

(2) असमान त्वरण :- यदि समान समयान्तरालो मे किसी पिंड के वेग मे परिवर्तन भिन्न भिन्न हो , तो पिंड की गति मे उत्पन्न त्वरण आसमान होता है | 


जैसे :- सड़को पर वाहनों की गति मे उत्पन्न त्वरण | 

(3) धनात्मक व ऋणात्मक त्वरण :- यदि किसी पिंड के वेग मे लगातार समय के साथ वृद्धि हो रही हो तो पिंड मे उत्पन्न त्वरण को धनात्मक त्वरण (त्वरण ) कहते है | 


जैसे :- ऊंचाई से पृथ्वी की और गिरती किसी वस्तु मे उत्पन्न त्वरण | 

 यदि किसी पिंड के वेग मे लगातार समय के साथ कमी हो रही हो तो पिंड मे उत्पन्न त्वरण को ऋणात्मक त्वरण (मंदन) कहते है | 

जैसे :- ऊपर की और फेकी गयी वस्तु मे उत्पन्न त्वरण | 

दूरी - समय ग्राफ , विस्थापन - समय ग्राफ व वेग समय ग्राफ 
ग्राफ के लिए 4 पेज छोड़ दे | 

समान त्वरित गति के समीकरण :- 
u  =   प्रारंभिक वेग 
v  =     अंतिम वेग 
a   =        त्वरण
t   =    समय  
h   =     ऊंचाई 
s   =    विस्थापन 

(1) प्रथम समीकरण :- माना कि किसी गतिमान पिंड का प्रारंभिक वेग u है तथा t समय बाद s दूरी चलकर वेग v हो जाता है | 

यदि पिंड की गति मे उत्पन्न त्वरण a हो तब 

त्वरण   =   वेग परिवर्तन / समय 

a   =    v - u  / t 
a.t   =   v  -  u
 v  =  a.t  +  u 

(2) द्वितीय समीकरण :- माना किसी गतिशील वस्तु का प्रारम्भिक वेग u व एकसमान त्वरण a है | तब t समय मे वह s दूरी तय करती है | 


s  =  u.t  + 1/2 . at2

(3) तृतीय समीकरण :- माना कि किसी गतिमान पिण्ड का प्रारंभिक वेग u है तथा t समय बाद s दुरी चलकर v हो जाता है | 


 v2  =  u2   +  2.a.s 


जब कोई पिंड विरामवस्था से चलना प्रारंभ करे , तब गति के समीकरण निम्न होंगे - 

V  =  a.t

S  =  ½ at2

V2  = 2as


पृथ्वी के गुरुत्व के अधीन गति - 

जब कोई वस्तु पृथ्वी के अधीन रहकर गति करती है तो उस पर एक बल कार्य करता है , जिसे गुरुत्व बल (गरुत्वीय त्वरण g ) कहते है | 

v    =   u   + g.t

h      =   ut  +  ½  gt2

v2   =  u2  +  2gs

जब वस्तु विरामावस्था से छोड़ी जाती है , तो u = 0 


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पाठ - 11 कार्य तथा ऊर्जा (work and energy)                                  - CLICK HERE

CHEMISTRY FOR CLASS 10th 

    पाठ - 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ और समीकरण                                    -  CLICK HERE  

पाठ-2 अम्ल व क्षार ( ACID AND BASE )                                          -   CLICK HERE

पाठ - 3 धातु और अधातु                                                                       -   CLICK HERE

पाठ - 4 कार्बन व उसके यौगिक                                                             -   CLICK HERE