पाठ - 11 कार्य तथा ऊर्जा (work and energy) 9th CLASS by om education point

 


M.D.M PUBLIC SCHOOL JANI KHURD
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SESSION – 2020 – 2021
CLASS – 9th

SUBJECT – PHYSICS
SUBJECT  TEACHER - RAJ KUMAR SIR

पाठ - 11        कार्य तथा ऊर्जा 

कार्य :- कार्य वह भौतिक क्रिया है जिसमे किसी वस्तु पर बल लगाकर उसे बल की दिशा में विस्थापित किया जाता है अर्थात वस्तु की स्थिति में परिवर्तन किया जाता | 

कार्य एक सदिश राशि है इसका मात्रक जूल या न्यूटन - मी है | 
 जैसे :- किसी मेज पर रखे किसी गुटके पर बल लगाकर उसे बल की दिशा मे विस्थापित किया जाए | 






कार्य होने के लिए आवश्यक शर्तें - 

(a) वस्तु पर कोई बल लगना चाहिए | 
(b) वस्तु विस्थापित होनी चाहिए |  

यदि कोई बल F किसी वस्तु पर कार्य करके उसे बल की दिशा में S दूरी तक विस्थापित कर दे , तो किया गया कार्य 

कार्य  =  बल x बल की दिशा में विस्थापन 
W   =   F x S

यदि किसी वस्तु पर बल F लगाने से उसमे बल की दिशा के साथ θ कोण पर S विस्थापन होता है , तो किया गया कार्य 



W   =  ( F cosθ )  x S 


विशिष्ट स्थिति :- 

(1) जब वस्तु पर कार्यरत बल F व विस्थापन S एक ही दिशा में हो , तब 
θ =  0 अंश 


W   =  ( F cos 0o )  x S 


W   =  ( F )  x S     जूल 

अत: किया गया कार्य अधिकतम होगा | 

(2) यदि विस्थापन बल की दिशा के अभिलंबवत हो , तो तब θ =  90 अंश 

W   =  ( F cos 90o )  x S 

W   =  0        जूल 

अत: किया गया कार्य शून्य होगा | 

(3) यदि बल लगाने पर कोई विस्थापन नहीं होता है तो भी किया गया कार्य शून्य होता है | 

W   =  ( F cos 0o )  x 0  =  0      जूल 

ऊर्जा :- किसी वस्तु द्वारा कार्य करने की क्षमता को उसकी ऊर्जा कहलाती है | 

ऊर्जा का मात्रक भी जूल होता है | क्योंकि कार्य ऊर्जा के स्थांतरण से होता है | 

ऊर्जा के प्रकार :- 

(1) यांत्रिक ऊर्जा 
(2) प्रकाश ऊर्जा 
(3) ध्वनि ऊर्जा 
(4) विद्युत ऊर्जा 
(5) उष्मीय ऊर्जा 
(6) पवन ऊर्जा 
(7) जल ऊर्जा 
(8) जैव ऊर्जा 
(9) सौर ऊर्जा 

यांत्रिक ऊर्जा के प्रकार :- 
यांत्रिक ऊर्जा दो प्रकार की होती है - 

(1) गतिज ऊर्जा :- किसी वस्तु की गति के कारण उसमे जो कार्य करने की क्षमता होती है , वह उस वस्तु की गतिज ऊर्जा कहलाती है | 

यदि किसी वस्तु का द्रव्यमान M व उसमे वेग V है तब उसमे गतिज ऊर्जा | 

K   =  ½  MV2                जूल     

गतिज ऊर्जा के सूत्र से प्राप्त परिणाम 
 गतिज ऊर्जा के सूत्र से प्राप्त कुछ महत्वपूर्ण परिणाम निम्न प्रकार - 
(1) यदि वस्तु का द्रव्यमान दोगुना कर दिया जाये , तो उसकी गतिज ऊर्जा भी दोगुनी हो जाती है | 
(2) यदि वस्तु का द्रव्यमान आधा कर दिया जाए , तो उसकी गतिज ऊर्जा भी आधी हो जाती है | 
(3) यदि वस्तु का वेग दोगुना कर दिया जाए , तो उसकी गतिज ऊर्जा चार गुना हो जाती है | 
(4) यदि वस्तु का वेग आधा कर दिया जाए , तो उसकी गतिज ऊर्जा एक - चौथाई हो जाती है | 

(2) स्थित ऊर्जा :- किसी वस्तु की स्थिति अथवा विकृतअवस्था के कारण उसकी कार्य करने की क्षमता , उसकी स्थितिज ऊर्जा कहलाती है | 

यदि किसी वस्तु का द्रव्यमान m व उसकी पृथ्वी ताल से ऊंचाई h और गुरुत्वीय त्वरण g है | तब 

                                    U  =   mgh    जूल 

ऊर्जा संरक्षण का नियम :- इस नियम के अनुसार , ऊर्जा को न तो नष्ट किया जा सकता है और न ही उत्पन्न किया जा सकता है | किन्तु एक रूप से दूसरे रूप में बदला जा सकता है | 

अर्थात विश्व की सम्पूर्ण ऊर्जा का परिमाण नियत होता है | 
किसी भी निकाय की यांत्रिक ऊर्जा अर्थात उसकी गतिज व स्थितिज ऊर्जा का योग सदैव नियत रहता है | अनेक निकायों मे गतिज ऊर्जा स्थित ऊर्जा मे व स्थित ऊर्जा गतिज ऊर्जा में बदलती रहती है | 


ऊर्जा का रूपांतरण :- 

(1)  बिजली के बल्ब का जलना :- इस प्रक्रिया में विद्युत ऊर्जा का रूपांतरण उष्मीय व प्रकाशीय ऊर्जा में होता है | 

(2) घरों मे बिजली के उपकरणों के उपयोग में :- घरो में लगे उपकरणों में लगे बिजली के पंखे , फ्रिज , कूलर , ऐसी , आदि में विधुत ऊर्जा का रूपांतरण गतिज ऊर्जा व उष्मीय ऊर्जा के रूप में होता है | 

द्रव्यमान - ऊर्जा समीकरण :- आइंस्टीन ने यह सिद्ध किया कि द्रव्यमान तथा ऊर्जा एक दूसरे से सम्बंधित है तथा प्रत्येक पदार्थ में उसके द्रव्यमान के कारण भी ऊर्जा हो सकती है | आइंस्टीन की द्रव्यमान - ऊर्जा समीकरण के अनुसार 


E  =  mc2

जहाँ      c प्रकाश की चाल है | 
c =  3*108   मी / सेकेण्ड 

शक्ति :- किसी व्यक्ति या मशीन के करने की समय दर शक्ति कहते है | 

इसे P से प्रदर्शित करते है | यह एक अदिश राशि है | 
यदि W कार्य t समय में किया जाए तो शक्ति 

शक्ति  =  कार्य / समय 
P  =  W / t     वाट 

इसका मात्रक वाट है | 

शक्ति व वेग में सम्बन्ध :- यदि किसी वस्तु पर बल F लगाने पर वह S दूरी से विस्थापित होती है तथा बल t समय तक कार्य करता है , तो 

बल द्वारा किया गया कार्य 

कार्य   =  बल  x  विस्थापन 

W   =    F  . S 

P  =  W / t   =   F . S / t

P  =  F x S

कार्य और ऊर्जा में अंतर 

 ऊर्जा 
कार्य  
 ऊर्जा कार्य करने की क्षमता है 
शक्ति कार्य करने की समय दर है |  
ऊर्जा कार्य संपन्न होने में लगे समय पर निर्भर नही करती  है | 
शक्ति समय पर निर्भर करती है | 

 ऊर्जा का SI मात्रक जूल है | 
शक्ति SI मात्रक वॉट है |  


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पाठ - 10 गुरुत्वाकर्षण (GRAVITY 9TH CLASS )

 

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CLASS – 9th

SUBJECT – PHYSICS 
SUBJECT  TEACHER - RAJ KUMAR SIR

पाठ - 10          गुरुत्वाकर्षण 


गुरुत्वाकर्षण :- ब्रह्माण्ड में उपस्थित प्रत्येक पिंड एक दूसरे को अपनी ओर आकर्षित करते है | पिंडो के बिच लगने वाले इस बल को गुरुत्वाकर्षण बल कहते है | इस घटना को गुरुत्वाकर्षण कहते है | 

गुरुत्वाकर्षण की कारण ही पृथ्वी किसी भी वस्तु को अपनी ओर आकर्षित करती है , इस आकर्षण बल को गुरत्व बल कहते है | 



न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम :- ब्रह्माण्ड में उपस्थित सभी पिण्ड एक दूसरे को अपनी ओर आकर्षित करते है , इस बल को गुरुत्वाकर्षण बल के नाम से जाना जाता है गुरुत्वाकर्षण बल सदैव आकर्षण बल ही होता है | 

इस नियम के अनुसार 

किन्ही दो पिंडो के बीच कार्य करने वाला आकर्षण बल उन दोनों पिण्डो के द्रव्यमानो के गुणनफल के समानुपाती व उनकी बीच की दुरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है | 





जहाँ G एक नियतांक है , जिसे गुरुत्वाकर्षण नियतांक कहते है | 

G का मान पिण्डो की प्रकृति , उनके द्रव्यमान , उनके बीच की दूरी ,माध्यम , समय , ताप इत्यादि पर निर्भर नहीं करता है तथा ब्रह्माण्ड के सभी कणो के लिए समान होता है | अत: इसे सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक भी कहते है | 

सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक G की परिभाषा :- सूत्र 



यदि   m1  =   1 kg    ,  m2   =   1 kg    ,   r  =   1 मी 
हो तो 
F    =     G 

अत: संख्यात्मक रूप से " गुरुत्वाकर्षण नियतांक G का मान एकांक दुरी पर रखे दो एकांक द्रव्यमान के पिण्डो के मध्य लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल के बराबर होता है | "


गुरुत्व बल के व्यवहारिक उपयोग :- 

(1) यदि किसी पिण्ड को पृथ्वी की सतह से ऊपर की ओर  फेका जाता है तो पिण्ड गुरुत्व बल के कारण वापस पृथ्वी पर लोट जाता है | 
(2) गुरुत्व बल के कारण ही पृथ्वी पर वायुमण्डल विद्यमान है | 
(3) गुरुत्व बल के कारण ही प्राणियों का पृथ्वी पर चलना संभव होता है | 
(4) कृत्रिम उपग्रहों को पृथ्वी के चारो ओर वृत्ताकार कक्षा मे परिभ्रमण के लिए आवश्यक अभिकेंद्रीय बल , गुरुत्वीय बल से प्राप्त होता है | 

गुरुत्वीय त्वरण :- किसी वस्तु पर गुरुत्व बल के कारण जो त्वरण उत्पन्न होता है , उसे गुरुत्व जनित त्वरण कहते है | इसे g से प्रदर्शित करते है | इसका मात्रक मी / sec होता है | 

गुरुत्वीय त्वरण परिमाण में उस बल के बराबर होता है , जिस बल से पृथ्वी एकांक द्रव्यमान वाली वस्तु को अपने केंद्र की ओर आकर्षित करती है | 

पृथ्वी की सतह पर विभिन्न स्थानों पर g का मान भिन्न - भिन्न पाया जाता है | 
g का औसत मान  =  9 . 8 मी / sec 2


गुरुत्वीय त्वरण के मान में परिवर्तन 

(1) पृथ्वी की सतह से ऊपर जाने पर g का मान घटता है | 
(2) पृथ्वी की सतह के अंदर जाने पर g का मान घटता है , तथा केंद्र पर शून्य हो जाता है | 
(3) गुरुत्वीय त्वरण का मान ध्रुवो पर अधिकतम तथा भूमध्य रेखा पर न्यूनतम होता है | 

G तथा g में संबन्ध :- 
यदि पृथ्वी का द्रव्यमान M और त्रिज्या R हो , तो पृथ्वी की सतह पर या उससे कुछ ऊंचाई पर m द्रव्यमान की वस्तु पर न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण नियम के अनुसार पृथ्वी द्वारा लगाया जाने वाला गुरुत्व बल 





F   =  G M m / R2  ------------(1)

  यदि गुरुत्वीय त्वरण g हो तो नूतन के गति के दूसरे नियम के अनुसार 

F  =   m g   --------(2)

समीकरण 1 व 2 से 


mg  =   GMm / R2

g  = GM / R2

अत: गुरुत्वीय त्वरण g का मान किसी वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है  | 

G व g में अंतर 

 गुरुत्वीय जनित त्वरण g 
 गुरुत्वाकर्षण नियतांक G 
 इसका मान विभिन्न स्थानों पर भिन्न - भिन्न होता है | 
यह एक नियतांक है | 

 इसका औसत मान पृथ्वी की सतह पर 9.8 मी / से
  है | 
G का मान 6.67*10-11 N-m2/kg2
 होता है |  
 g एक सदिश राशि है | 
G एक अदिश राशि है |  
 इसका मात्रक मी / से
 है 
 इसका मात्रक 6.67*10-11 N-m2/kg2
 है | 



द्रव्यमान :- किसी वस्तु में पदार्थ का परिमाण ही उसका द्रव्यमान कहलाता है | यह एक अदिश राशि है | इस्सके मान नियत रहता है | इसका SI मात्रक किलोग्राम है | 


भार :- पृथ्वी जिस बल से किसी वस्तु को अपनी और आकर्षित करती है वह उस वस्तु का भार कहलाता है | 


भार     =   द्रव्यमान  x गुरुत्वीय त्वरण 
W     =      m  g

1 kg  = 9.8 न्यूटन 



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